सर्विस बुक में रहें सम्पत्ति कि जानकारी जिससे भविष्य में होने वाली जांचों और शिकायतों से बचा जा सके ।
भोपाल / रविवार 1 सितम्बर 2024
भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू तारकचंद दास को लोकायुक्त पुलिस ने बीडीए के दफ्तर से ₹40000 की रिश्वत लेते 23 अगस्त को रंगे हाथों पकड़ा था । अभी तक की जांच में लोकायुक्त पुलिस को तारकचंद दास एवं उनके परिवार की 80 करोड़ से अधिक कि चल-अचल सम्पत्ति की जानकारी मिल चुकी है ।
आज आपको इस खबर के माध्यम से यही बताने जा रहे हैं की कैसे एक बाबू सिविल सेवा नियमों को जानता था और लगातार उन नियमों से खेलता रहा कैसे वह अपनी संपत्तियों में इजाफा करता रहा और उसकी जानकारी के साथ ही तमाम अनुमतियां भी भोपाल विकास प्राधिकरण से ही लेता रहा ।
साल 1995 में हुई लोन लेने कि शुरुआत :
सन 1995 की तारीख 28 जनवरी से तारकचंद दास ने भोपाल विकास प्राधिकरण से चल-अचल सम्पत्तियों को खरीदने के लिए अनुमतियां लेने का दौरा शुरू किया । सबसे पहले तारकचंद दास ने ₹30000 का लोन सेंट्रल बैंक एमपी नगर शाखा से लिया । इस लोन को प्राप्त करने के लिए तारकचंद दास ने BDA से अनुमति चाहि अनुमति लेने के लिए पत्र 28 जनवरी 1995 को प्रशासकीय अधिकारी को लिखा गया तब तारकचंद दास की सैलरी ₹950 थी । यही से तरकचंद दास ने नियमों से खेलना शुरू किया ।
साल 2001 में ली ससुर को लोन दिलाने कि अनुमति :
इसके बाद साल 2001 में अपने ससुर को भवन निर्माण हेतु लोन दिलाने के लिए तारकचंद दास ने BDA को एक पत्र लिखा जिसमें ससुर के लोन में जमानतदार बनने सैलरी का प्रमाण पत्र एवं BDA से अनापत्ति चाहि गई अनुमति मांगने का पत्र एवं जारी किया गया प्रमाण पत्र दोनों पर एक ही हैंडराइटिंग है जिससे साफ होता है की जिसने अनुमति मांगने के लिए पत्र लिखा है उसी ने स्वयं प्रमाण पत्र भी लिखा है । इसमें कोई बड़ा आश्चर्य नहीं किया जा सकता की प्रमाण पत्र स्वयं तारकचंद दास ने ही जारी कर लिया हो । जब ससुर की संपत्ति एवं भवन निर्माण आदि में स्वयं जमानतदार बनकर उन्हें लोन दिलाने की गारंटी तारकचंद दास ही लेता रहा तो यह साफ समझा जा सकता है की उसके ससुर के पास पैतृक संपत्ति के नाम पर शून्य था फिर पत्नी के नाम पर इतनी संपत्ति आई कहां से ।
साल 2004 में सहकर्मी को दिलाया लोन :
साल 2004 में तारकचंद दास ने BDA में ही पदस्थ संजय श्रीवास्तव को लोन दिलाने के लिए गारंटी लेने के लिए पत्र प्रशासकीय अधिकारी को लिखा । तब तरकचंद दास की बेसिक सैलरी 3650 रुपए थी यह बड़ा सवाल है कि जिस बाबू की सैलरी 2004 में 3650 थी आज वह 80 करोड़ से ऊपर की संपत्ति का मालिक बन बैठा है ।
साल 2011 में खरीदी रॉयल एनफील्ड बुलेट :
साल 2011 में नवंबर महीने की 21 तारीख को तारकचंद दास ने फिर एक पत्र प्रशासकीय अधिकारी को लिखा जिसमें अपनी आवश्यकताओं के लिए उसने रॉयल एनफील्ड की बुलेट खरीदने के लिए अनुमति मांगनी चाहि । BDA के प्रशासकीय अधिकारी डॉ विनोद मोदी ने उसी दिन तत्काल तारकचंद दास को अपने बचत एवं बैंक लोन से बुलेट खरीदने हेतू अनुमति दे दी । तब तारकचंद दास की सैलरी 15082 थी । चौंकाने वाली बात यह है कि महज 2 साल बाद साल 2013 फरवरी के महीने में ताराकचंद दास को कार खरीदने के लिए अनुमति डॉक्टर विनोद मोदी द्वारा दे दी गई । डॉ मोदी और दास के कनेक्शन इतने मजबूत थे कि जिस दिन आवेदन होता उसी दिन अनुमति दे दी जाती थी ।
दास कि पत्नी मंदिरा कैसे बनी करोड़पति :
पत्नी के नाम पर संपत्ति बनाने का सिलसिला तारकचंद दास ने 2013 से शुरू किया पत्नी की आय से संपत्ति खरीदने के लिए भी अनुमति तारकचंद दास लगातार BDA से ही लेता रहा । मेहज 10 सालों में पत्नी के नाम पर करोड़ों की संपत्ति कैसे बनी यह बड़ा सवाल है आइये सवाल का जबाब ढूंढते हैं । 2013 में कार खरीदने की अनुमति तारकचंद दास ने अपने नाम पर तो ले ही ली थी पर 2013 में ही पत्नी के नाम पर भी कार खरीदने की अनुमति तारकचंद दास ने BDA से ले ली । जिसके लिए उसने पत्नी की आय स्टांप वेंडर,फोटोकॉपी दुकान आदि से होना दिखाई । 2011-12 में तरकचंद दास की पत्नी मंदिरा दास कि आय 950000 थी एक फोटोकॉपी दुकान और स्टांप वेंडर कि इतनी आए होना ताज्जुब का विषय होता है खासकर तब जब स्टांप वेंडर का लाइसेंस कोलार का हो और दुकान कहीं और चल रही हो । एक बात और आप जानकर चौंक जाएंगे की अगले ही साल 2012-13 में मंदिरा दास की आय 1577000 हो जाती है । जो पिछले साल से तकरीबन 6 लाख ₹30000 लगभग बढ़ जाती है ।
साल 2018 में मंदिरा दास के नाम से बैंक लोन के माध्यम से मकान क्रय करने की अनुमति मांगी जाती है । मकान की कीमत एक करोड़ 8 लाख रुपए बताई जाती है मकान का कुल क्षेत्रफल 2380 वर्गफिट लगभग होता है । जो कस्तूरबा नगर भोपाल में स्थित है । लेकिन इसके अनुबंध के समय की राशि 1125000 होना बताया जाता है । वही 2022 में पत्नी के नाम से भूमि खरीदने के लिए अनुमति BDA से ली गई ।
रिवाल्वर रखने का शौकीन था दास बाबू :
BDA का यह बाबू करोड़पति तो है ही साथ ही इसे रिवाल्वर रखने का शौक भी है अपने इस शौक को पूरा करने के लिए इस बाबू ने BDA से रिवाल्वर खरीदने की अनुमति भी मांगी थी । यह सब जानकर आपको हैरानी होगी कि वास्तव में एक सामान्य सी पगार पाने वाला बाबू कैसे एक करोड़पति बन सकता है वही अपने जीवन से जुड़े सारे शौक भी वो पूरे करता है । अपनी काली कमाई को पत्नी की आय बताने वाला बाबू आज लोकायुक्त के गिरफ्त में है वही 80 करोड़ से ऊपर की संपत्ति का खुलासा हो चुका है लोकायुक्त पुलिस द्वारा उसके बैंक खातों और लाकरों की जांच की जानी है जिसके लिए बाबू ने पत्नी की बीमारी का बहाना बताकर जांच को कुछ समय के लिए रुकवा दिया है । आखिरकार पत्नी का बीमार होना भी लाजिमी था क्योंकि जब अपनी काली कमाई पत्नी के नाम कर दी जाए और लोकायुक्त लगातार खुलासा करती रहे पत्नी से सैकड़ो सवाल होने हैं जिनके जवाब देने से पहले पत्नी का बीमार होना तो बनता ही है ।