APR खास । भोपाल । अजय पाटीदार
भोपाल । खबर कि शुरुआत कैबिनेट मंत्री से करते है । सरकार के वरिष्ठ स्तरीय नेताओं का समूह कैबिनेट कहलाता है । यह महत्वपूर्ण मंत्रियों का एक छोटा समूह होता है। विभागों के अनुसार कैबिनेट के मंत्रियों को दायित्व दिया जाता है । इन्हें उस दल या दलों के सदस्यों के समूह से चुना जाता है जिसे सदन में बहुमत प्राप्त हुआ हो । इन्हें सदन नही चुनता जबकि उस सदन का नेता यानी लोकसभा में प्रधानमंत्री और विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत कर राष्ट्रपति/राज्यपाल के माध्यम से शपथ और प्रतिज्ञान कराई जाती है । कैबिनेट के यह मंत्री कैबिनेट मंत्री कहलाता है । और कैबिनेट कि बैठक में अनिवार्य रूप से भाग लेता है। कैबिनेट मंत्री को प्राप्त विभाग का सम्पूर्ण पॉवर सेंटर विभागीय कैबिनेट मंत्री होता है ।
आइये अब बात करते है राज्यमंत्रियों कि भारत मे राज्यमंत्री त्रिस्तरीय मंत्रिपद होता है । पहले सदन का नेता जैसे प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री दूसरे स्थान कैबिनेट मंत्री के बाद जो तीसरी व्यवस्था है उसे राजमंत्री कहा जाता है । यह कैबिनेट मंत्री के सहायक के रूप में कार्य करता है । जो केबिनेट कि बैठकों में भाग नही ले सकता परन्तु सुविधाये उसे पूरी मंत्री के समान ही मिलती है । चूंकि राजमंत्री व्यवस्था कैबिनेट के मंत्री कि सहायक व्यवस्था है । तो जब कैबिनेट मंत्रियों को विभाग आवंटन हो जाते है । उसके पश्चात राज्यमंत्री को भी विभागों का आवंटन होता है । जो विभाग राज्यमंत्री को आवंटित होता है उसे उसी विभाग के कैबिनेट मंत्री के सहयोगी के तौर पर कार्य करना होता है । राज्यमंत्री को प्राप्त विभाग का पॉवर सेंटर कैबिनेट मंत्री ही होता है । महत्वपूर्ण निर्णय करने का अधिकार कैबिनेट मंत्री को ही होता है ।
अब जरा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के बारे में जानते है : राज्यमंत्री कि परिभाषा और कार्य हमने आपको बताये वे सभी अधिकार राज्यमंत्री स्वत्रंत प्रभार को प्राप्त होते है । किंतु एक महत्वपूर्व विषय स्वतंत्र प्रभार का भी है । स्वतंत्र प्रभार यानी जब कैबिनेट मंत्रियों को विभागों का आवंटन हो जाता है और तब ऐसे विभाग रह जाते है जिनका प्रभार कैबिनेट मंत्री को नही दिया गया । इन विभागों का प्रभार राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार को सौपा जाता है । जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है स्वतंत्र प्रभार वैसे ही स्वत्रंत प्रभार राज्यमंत्री विभाग का स्वतंत्र प्रभारी होता है और जरूरत पड़ने पर कैबिनेट कि बैठक में भी अपनी बात रख सकता है । स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री को आवंटित विभाग का सम्पूर्ण पॉवर प्राप्त होता है ।
हम जानते है । आपमे से बहुत से नागरिक यह जानते है कि कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार क्या होता है । पर हमारी इस खबर का मुख्य उद्देश्य आज के युवाओं को इनसे अवगत कराना था आपको खबर पसंद आई हो तो अपने साथियों को शेयर जरूर करें । महत्वपूर्ण जानकारी और खबरों के लिए बने रहें हमारे साथ APR WORLD NEWS पर ।