भोपाल विकास प्राधिकरण के बाबू तारकचंद दास को लोकायुक्त पुलिस ने बीडीए के दफ्तर से ₹40000 की रिश्वत लेते 23 अगस्त को रंगे हाथों पकड़ा था । अभी तक की जांच में लोकायुक्त पुलिस को तारकचंद दास एवं उनके परिवार की 80 करोड़ से अधिक कि चल-अचल सम्पत्ति की जानकारी मिल चुकी है ।
बीडीए में बाबू तारकचंद दास को दिनांक 08/09/1994 में श्रम न्यायालय के आदेश के बाद नि:श्रे. लि के पद पर दो वर्ष कि परीविक्षा अवधि पर नियुक्त किया गया था । शासकीय सेवा में परीविक्षा अवधि समाप्त होने के उपरांत ही नियमति किये जाने का प्रावधान है ।
08.09.1994 को दास ने प्राधिकरण में कार्यभार ग्रहण किया । उससे दो वर्ष दिनांक 07/09/1996 को पूर्ण होने थे । उसके बाद ही उसे नियमित किया जाना था । पर आपको जानकर आश्चर्य होगा कि परीविक्षा अवधि पूर्ण होने के दो माह पूर्व ही दिनांक 11.07.1996 को उसे प्रशासनिक अधिकारी भोपाल विकास प्राधिकरण ने नियमित कर दिया। इससे बाबू के रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है । नियमानुसार तो उसकी सेवाएं ही समाप्त होनी चाहिए । पर कही न कही सेटिंग के कारण तारकचंद दास आज तक बचता आ रहा है ।
तारकचंद दास कि सेवाएं श्रम न्यायालय के आदेश के बाद 1994 में प्रारंभ हुई । पर तारकचंद दास ने बीडीए के प्रशासनिक अधिकारी से दिनांक 28/03/1995 को पत्र लिखकर 1992 एवं 93 का बोनस भुगतान शीघ्र करने की मांग कि चूंकि प्रशासनिक अधिकारी से सेटिंग बेहतर होने से तारकचंद दास लगातार प्राधिकरण को नुकसान और खुद को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाता रहा । तारकचंद दास कि प्रशासनिक अधिकारियों और प्राधिकरण के चेयरमेन, सीईओ से बहुत अच्छी सेटिंग रही जिससे वो प्राधिकरण में घपले-घोटाले करता रहा।
इनका कहना :-
बिना परीविक्षा अवधि को पूर्ण किये तो किसी भी कर्मचारी को नियमित किया ही नही जा सकता । अगर किया गया है तो बड़ी गड़बड़ हुई है । शासन को कार्यवाही करनी ही चाहिए ।
विनोद कुमार चतुर्वेदी पूर्व ADM सीहोर